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Showing posts from December, 2019

बातें कही - अनकही

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सुना था उम्मीद पर दुनिया चलती है, सो यहीं सुनकर मैं भी चले जा रहा है । सच कहूँ तो यह उम्मीद नाम की ईंधन बड़ी कमाल की चीज़ है पंक्चर से पंक्चर आदमी को भी अपने ज़ारिये घसीटे रखती है । लेकिन कल शाम को रही - सही उम्मीदी ईंधन भी खत्म हो गई । कल शाम तक तो इसी खुशफहमी में जी रहा था की तुमसे जुड़ी हर याद को अपने ज़ेहन से खुरच - खुरच कर मिटा चुका हूं पर कल जब अपने भीतर उतरा तो पता चला की खुरचने को अब भी बहुत कुछ बचा है । तकरीबन 24 घंटे बीत चुके है यादों की परतों खरोचते हुए पर यह कम्बख्त खत्म होने का नाम नहीं ले रहे । अब लग रहा है की इन सब को खुरच दिया तो इसके बाद मेरे भीतर बचेगा क्या ? और बचने की बात तो छोड़ ही दो आखिर क्या - क्या खुर्चूंगा ? वो दिल्ली का हीरा स्वीट्स की गली वाला फ्लैट ? वो लक्ष्मीनगर का मैट्रो स्टेशन कि बैंच ? वो जामा मस्जिद की सीढ़ियां ? वो बंगला सहीब गुरुद्वारे की परिक्रमा ? वो राजीव चौक मैट्रो स्टेशन का गेट नम्बर 7 ? कालकाजी मंदिर की उस बूढ़ी अम्मा का आशिर्वाद या शायद पूरी जवानी । दिल अब भी मानने को तैयार नही है की अब तुम से बचा - खुचा रिश्ता भी अपने अंजाम क

~ दिल के तहखाने से

सोशल मीडिया पर यूँ ही चहलकदमी करते हुएएक तस्वीर देखी तुम्हारी। तुम्हारी गोद मे एक नन्ही सी जान। पता नही, बस यूं ही कहीं खो गया उस तस्वीर में। आखिर उस परिवार का हिस्सा बनना चाहता था मैं। मैं भी कहीं उस तस्वीर में मौजूद होना चाहता था, तुम्हारी उस चेहरे पे झिलमिलाती हुई मुस्कुराहट को सामने से महसूस करना चाहता था। पर ज़िन्दगी है और हम इंसान हैं। जीवन में कुछ ऐसे अनचाहे चौराहे आते हैं जहाँ से ज़िंदगी एक नई करवट ले ही लेती है। अपनी किसी भी परेशानी में, किसी भी हालात में वो एक फ़ोन नंबर हमेशा साथ था, जिसे बिना वक़्त देखे और सहूलियत देखे घुमा दिया करता था,आज एक मैसेज भी भेजने से पहले ख्यालों का बवंडर हिम्मत तोड़ देता है। तुम्हारे जाने के बाद, तुमसे ज्यादा खुद को ढूंढ रहा हूँ पर मगर सिवाय खालीपन के हाथ कुछ नहीं है। कुछ सरल सी चीज़ें ज़िन्दगी में आपको झकझोर के रख देती हैं और मेरे लिए वो तस्वीर कुछ वैसी ही थी। आज भी दिल मे वही प्यार, वही खुशी महूसस होती है उस परिवार के लिये पर तब जता नहीं पाया और आज जताने का वक़्त नहीं है।