~ दिल के तहखाने से

सोशल मीडिया पर यूँ ही चहलकदमी करते हुएएक तस्वीर देखी तुम्हारी। तुम्हारी गोद मे एक नन्ही सी जान। पता नही, बस यूं ही कहीं खो गया उस तस्वीर में। आखिर उस परिवार का हिस्सा बनना चाहता था मैं। मैं भी कहीं उस तस्वीर में मौजूद होना चाहता था, तुम्हारी उस चेहरे पे झिलमिलाती हुई मुस्कुराहट को सामने से महसूस करना चाहता था। पर ज़िन्दगी है और हम इंसान हैं। जीवन में कुछ ऐसे अनचाहे चौराहे आते हैं जहाँ से ज़िंदगी एक नई करवट ले ही लेती है।



अपनी किसी भी परेशानी में, किसी भी हालात में वो एक फ़ोन नंबर हमेशा साथ था, जिसे बिना वक़्त देखे और सहूलियत देखे घुमा दिया करता था,आज एक मैसेज भी भेजने से पहले ख्यालों का बवंडर हिम्मत तोड़ देता है। तुम्हारे जाने के बाद, तुमसे ज्यादा खुद को ढूंढ रहा हूँ पर मगर सिवाय खालीपन के हाथ कुछ नहीं है।

कुछ सरल सी चीज़ें ज़िन्दगी में आपको झकझोर के रख देती हैं और मेरे लिए वो तस्वीर कुछ वैसी ही थी। आज भी दिल मे वही प्यार, वही खुशी महूसस होती है उस परिवार के लिये पर तब जता नहीं पाया और आज जताने का वक़्त नहीं है।




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