एक नज़रिया और.............
कथा - कैदी लेखिका - अंजलि चौधरी बात आज से कुछ वर्ष पूर्व की है, जब रंगमंच शब्द से वास्तव में मेरा परिचय होना आरंभ ही हुआ था। इसी क्रम में उन दिनों मंडी हाउस के विख्यात श्री राम आर्ट सेंटर में मेरा आवागमन सहसा बढ़ गया था। उसी गति से, जिस गति से उन दिनों अवैध बूचड़खानों की तरह नए-नए यूट्यूब चैनल उपट रहे थे। उस परिसर में इतना रम चुका था कि प्रांगण के भीतर होने वाले काल्पनिक कथाओं पर आधारित नाटक से लगाए, बाहर सड़क पर होने वाले असली तमाशे की पटकथा, संवाद सबकुछ कंठस्थ हो चुके थे। एकदिन परिसर के प्रांगण में चकल्लस झाड़ते हुए एक छोटे से हस्तनिर्मित पोस्टर पर नज़र पड़ी। उसपर अन्ग्रेजी में एक कथन उकेरा हुआ था, जो कुछ यूँ था- "Our demands are simple, normal, and therefore they are difficult to satisfy. All we ask is that an actor on the stage live in accordance with natural laws." इसके ठीक नीचे एक नाम लिखा था, जिसे पूरा पढ़ने हेतु मुझे 2-3 प्रयास करने पड़े। वह नाम था Konstantin Stanislavski. हर काम की बात की तरह, यह बात भी उस समय बुद्धि के बंद पड़