भाई ....
गोवा की राजधानी पणजी से 13 किलोमीटर मापुसा नाम का एक कस्बा पड़ता है। यहाँ पर्रा नाम का एक छोटा सा गाँव है। यह गाँव 2 चीज़ों के लिए जाना जाता है। एक है तरबूज और दूसरा है एक शख्स। आखिर वह कौन है, यह जानने के लिये आपको अंत तक चलना होगा। खैर, फिर लौटते हैं पर्रा की ओर जहाँ 60 और 70 के दशक में, जब यहाँ बम्बई जाना विदेश जाने के बराबर था। तब पर्रा की पहचान थी वहाँ का तरबूज़ मेला, जहाँ लोग मुफ्त में जितना चाहें उतना तरबूज खा सकते थे। बस शर्त इतनी सी थी कि तरबूज़ को खाकर उसका बीज पास रखी हुई टोकरी में थूकना होता था। उन दिनों इस मेले में एक लड़का भी आया करता था। कुछ समय बाद वह लड़का अपनी आगे की पढ़ाई के लिए बंबई चला गया। कुछ साल बाद जब वह वापस गोवा लौटा तो उसका ठिकाना मापुसा से बदलकर पणजी हो चुका था। एक दिन वह बाज़ार गया तो वह जानकर हैरान रह गया की अब बाज़ार में मापुसा के तरबूज नहीं मिलते। फिर जब वह तरबूज की खोज में पर्रा पहुँचा तो उसने पाया की तरबूज मेला करवाने वाले ज़्यादातर किसान या तो अब किसानी अपने बेटों को सौंप चुके हैं या अब वह नहीं रहे। जब कमान उनके बेटों के हाथ आई तो उन्होने तरबूज मेले में