अटल बाबा
कभी सोचा नहीं था की आँखें किसी नेता के लिए नम होंगी । राजनीति को देखते - समझते लगभग 10 साल से ज्यादा बीत गए, ना जाने टीवी पर कितनी हस्तियों की शव यात्रा या उनके निधन के समाचार को देखा होगा । राजनीति की पहली स्मृति भी अटल जी से ही शुरु होती है । वक़्फा था मई 2004 का, देश में लोकसभा चुनाव हाल ही में खत्म हुए थे, हर तरफ नए- नवेले प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की चर्चा थी । तभी एक दिन मैने पूरी मासूमियत से अपनी दादी से पूछा "दादी अटल बिहारी वाजपेई हार गए क्या ??" दादी ने कहा "नहीं बेटा, अटल जी तो जीत गए पर उनकी पार्टी हार गई " । मैने माथे पर बल लाते हुए फिर पूछा "पर कैसे ?"। उसके बाद दादी ने लोकसभा और उसके चुनाव का गुणा- भाग मुझे आसान भाषा में समझाया ।
पर अब समय के पहिए को घुमाते हुए 16 अगस्त, 2018 की तारीख़ पर लाता हूं । 16 तारीख़ की दोपहर थी, पसीने से सना हुआ बाज़ार से लौटा । नींद इस कदर दिलो-दिमाग पर हावी था की लगा की बस घर जाते ही बिस्तर पर पड़ जाऊंगा। घर में घुसते ही सोफे पर धंस गया । बैठे - बैठे फ़ेसबुक की अपनी फ़ीड स्क्रोल करने लगा तभी मेरी नज़र अटल जी के स्वास्थ संबंधी एक पोस्ट पर टिक गई। खबर में था की 3 बजे अटल जी का हेल्थ बुलेटिन आएगा। फिर आदतन इस खबर की पुष्टि के लिए भिन्न- भिन्न न्यूज़ वेबसाईटस को खंगालने लगा । इन्ही सब में पता नहीं लगा की कब मेरी मम्मी खाना टेबल पर रख गयीं । लेकिन फिर हेल्थ बुलेटिन के साथ - साथ कुछ साईटों के माध्यम से विशेष प्रकार की तैयारियों की खबरें मिलनी शुरु हुईं जैसे की अटल जी के घर पर SPG का बड़ी तादाद में पहुंचना और AIIMS के बाहर अतिरिक्त पुलिस का बन्दोबस्त, आदि । इन्हीं सब खबरों ने किसी अनहोनी की आशंका को और ज़्यादा गहरा दिया ।
फिर मैने दिल्ली के अपने मित्रों को फ़ोन लगाया, जो इन दिनों भाजपा और संघ में सक्रिय हैं, उनकी बातों और बातों के स्वर ने दिल को और भारी कर दिया । तभी मेरी मम्मी ने डांटते हुए वहीं मोबाइल फ़ोन और युवा पीढ़ी की बर्बादी वाला मुहावरा दोहरा दिया । डांट के असर से मैने जैसे - तैसे 2-3 कौर जबरन गले के नीचे उतारे और फिर उठ गया। चूँकि इस खबर से नींद और भूख काफूर हो चुकी थी, इसलिए रह- रहकर नज़र घड़ी पर जाती जो 3 बजने का इंतज़ार कर रही थीं। खैर 3 बजा, उठकर टीवी ऑन किया, पता चला की हेल्थ बुलेटिन का टाईम ढाई घंटे आगे बढा दिया गया है । हालांकि मैं फिलवक़्त पेशेवर पत्रकार नहीं हूं, पर इन सब चीज़ों ने अनहोनी की आशंका को लगभग पुख्ता कर दिया । फिर जैसे तैसे 5:30 बजे का इन्तजार करने लगा, 16 तारीख़ को वक़्त ने भी अपनी रफ्तार धीमी कर दी थी, ढाई घंटे काटने मुश्किल हो गए थे । बहरहाल, जैसे - तैसे 5:30 बजे तभी लाईट चली गई, मैं तुरंत अपने फ़ोन की तरफ लपका और न्यूज़ की लाइव स्ट्रीमिंग देखने लगा, अंततोगत्वा हुआ वहीं जिसका भय था, अटल जी के चले जाने की खबर की पुष्टि हुई ।
शायद बात थोड़ी बनावटी लगे मगर बडी मुश्किल से खुद के भावनाओं को रोका, क्यूंकि मेरे लिए वह 'अटल बाबा' थे, यहीं नाम मेरे किसी बड़े ने उस वक़्त बताया था जब मैं उनकी तस्वीर वाली एक पोस्टर को देखकर जब सवाल किए । खून का तो कोई रिश्ता नहीं था, पर भावनाओं का ज़रूर था । क्योंकि छुटपन में इन्ही अटल बाबा के फोटो वाला झंडा अपनी साइकिल की हैंडल में फँसाकर अपने गांव वाले घर के आंगन में घूमता था और रह - रहकर "अबकी बारी अटल बिहारी" का घोष करता था ।
GK की किताबों में से रटा पहले देश के प्रधानमंत्री का नाम । इन्ही सब यादों के पन्नों को पलटते 2003- 2004 के वक़्त में घूम रहा था तभी मेरे पापा आए और मैंने उन्हे भी यह समाचार देते हुए अपना फ़ोन उनकी ओर बढा दिया । आमतौर पर मेरे पापा कभी फ़ोन पर कोई वीडियो ज़्यादा देर तक देखना पसन्द नहीं करते पर उस दिन स्क्रीन पर टकटकी लगाए अटल जी के देहान्त की खबर लगभाग 1 घन्टे तक देखते रहे । मैंं थोडी देर केे लिए बालकनी में चला गया जब लौटा तो देखा की मेरे पिता जी अपना चश्मा साफ कर रहे हैं और उनकी आंखें लाल हैं । जब मैने उनसे वजह पूछी तो बात को टाल गाए लेकिन संकेतों ने बतला दिया था की देहांत किसी राजनेता का नही, शायद हमारी पीढ़ी ने कुछ बहुत अनमोल खोया है । तभी मम्मी भी वहाँ आ गईं और खबर सुनकर शून्यता का भाव चेहरे पर लिए किचन में चली गईं और बाज़ोकात मैं भी अपने भावों को दबाए, जीवन के 'हैं' से 'थे' वाले भयानक चक्र की गुत्थी को सुलझाता अपने कमरे में चल दिया। अपनी व्यथा को विराम देने से पहले एक बेतुकी बात ज़रूर लिखूंगा -
bhot khoob bhai👌
ReplyDelete🙏🙏🙏
Delete,👌👏
ReplyDeleteकोटि - कोटि आभार
Deleteबहुते सुंदर,लगभग सबकी यही कहानी है।
ReplyDeleteआपके स्नेह के लिए आपका हार्दिक आभारी हूं
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ReplyDeleteBohot hi Sundar tareeke se samjhaya....aapki feelings me hme apni mehsoos Hui...
ReplyDeleteRIP ATAL JI🙏🙏
आप के स्नेह के लिए आपका बहुत - बहुत आभार
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