प्रेम प्रपंच

आज हम बात करने वाले उत्तर प्रदेश के छोटे से लेकर बड़े शहरों , गांवों में पनपने वाली प्रेम कथाओं के बारे में । यहाँ पर प्यार भी रूस के समाज की तरह तीन हिस्सों में बंटा हुआ है । लड़के यहां प्रेम की शिक्षा अधिकतर हाईस्कूल के दिनों से प्राप्त करते है ।। इस मामले में उन लोगों को विशेष आरक्षण मिला हुआ है जिनके बड़े भाई की शादी हो चुकी है और उनके साली भी है , प्यार के क्षेत्र में साली को वरीयता दी जाती है ।। बाकी अन्य प्यार तलाशने के दो तरीके आपका कालेज या कोचिंग हो सकता है या भोलेनाथ की कृपा हो तो आपको आपके मोहल्ले में ही यह सुख प्राप्त हो सकता है जो सामान्यतः होता नही है ।

       आइये अब तीनों प्रकार के प्रेम के प्रारंभ और आगे की कथा के बारे में चर्चा कर लेते है । तो सबसे पहले नंबर आता है आपके रिश्तेदारी ( अधिकतर साली से ) में होने वाले प्रेम की । इस प्रेम का प्रारम्भ बड़े भाई के रिश्ता तय होते ही हो जाता है जिसमे जब तिलक तथा शादी आदि की रस्मे निभाई जा रही होती है तब इधर इन दो दिमागों अलग खिचड़ी पक रही होती है इसमें सहयोग देती है शादी की कुछ रस्मे । उसके पश्चात घरवालों के मजाक निश्चित ही उनको इस बात के लिए प्रेरित करते रहते है । यह प्रेम का सबसे सरलतम बिना खतरे का और सुगम तरीके से पाया जाने वाला प्रकार है ।

        दूसरा नम्बर आता है स्कूल कालेज और को कोचिंग में पनपने वाले प्रेम का , यह सबसे प्रचलित स्वरूप है आजकल के प्रेम का । परंतु इसमें कठिनाइया है लेकिन उसपर ना जाते हुए इसके प्रारम्भ की बात करते है ध्यान रखने वाली बात ये है कि इस प्रकार के प्रेम में कभी भी स्त्रीलिंग प्रारम्भ नही करती । यहां पर प्रेम का बीजारोपण का प्रमुख स्रोत आकर्षण और सुंदरता अथवा एक ही विषय मे रुचि होना आदि हो सकते है । या आप उस अमुक विषय मे अगर ज्ञानी हो तो फिर शायद महोदया आपसे बात करने का कष्ट उठाएं ।



यहां पर होने वाले प्रेम में प्रेमियों के पास बात करने का और मिलने का काफी अच्छा मौका होता है जिसमे खतरे की आशंका नही होती एवं रोज का मेलमिलाप तथा साथ मे की गई पढ़ाई (जो एक मिथक है ऐसा कुछ साथ मे नही होता ) । यहां पर होने वाली बाद में पूरा दिन व्हाट्सअप और मैसेंजर तथा कॉल पर बात करने के लिए सामग्री प्रदान करती है ।। परंतु इसमें थोड़ा खतरा अपनी प्रेमिका को बाहर ले जाने पर होता है अथवा अगर किसीको पता चला तो बालिका के पिताजी बिना किसी देर उसकी कोचिंग छुड़वा देते है जिससे प्रेम में बाधा पड़ती है । लेकिन खतरों का क्या है आते रहते है । यह प्रेम का दूसरा प्रकार प्रारम्भ में कठिन परन्तु बाद में सरल यदि कोई दिक्कत ना पेश आये तो एवं अधिक प्रचलित है ।

       अब बात करते हैं तीसरा प्रकार यानी मुहल्ले या गांव के प्रेम की जो थोड़ा कॉम्प्लिकेटेड मसला है । परंतु मानव आखिर जोखिम के लिए ही बना है और उसमें से विशेष करके 16 से 25 साल के लड़के जो इसी तलाश में रहते है कि यार हमारी भी कोईमहिलामित्र हो ।

अब यहां पर ये बात अहम है कि आपके मुहल्ले में आपके उम्र की कोई बालिका है कि नही यदि है तो क्या आपसे अलग या ऊंची अथवा अधिक नीच जात की तो नही यदि ये शर्त भी ठीक रही तो उसके परिवार के साथ आपके परिवार के रिश्ते कैसे है ये सभी बाते मायने रखती है । इस मामले में प्रेम का प्रारम्भ छत पर से निहारने आपके स्कूल कालेज सेम होने घर पड़ोस में होना उनके परिवार से रिश्ते अच्छे होना आदि स्टार्टर का काम करते है या फिर आपकी सकारात्मक या नकारात्मक दोनों प्रकार की छवि आपको इस काम मे सहायता दिला सकती है ।


 एक बार शुरुआत हो जाने पर यहां सामने से देखने की कोई समस्या नही रहती बात करना भी सरल रहता है लेकिन सबसे बड़ी समस्या दोनों के साथ बाहर जाने की होती है और उपर से ये मुए मोहल्ले के पत्तलकार जो इधर से उधर नाहक ही खबरे और अफवाहों का बाजार गर्म करते घूमते रहते है । इस प्रकार का प्रेम अपने अंजाम तक अधिकतर पहुंचता है क्योंकि कभी कभी भगवान भी आपको अच्छे मौके देते है । बाकी इसमें आगे जेहादी की काफी सम्भावनाये रहती है । बात या तो किसी एक कि शादी या मामला खुलने से खत्म हो जाती है । लेकिन प्रेम नही ।

                                                             - अर्पित त्रिपाठी

Comments

Popular posts from this blog

अटल बाबा

भाई ....

यक्ष प्रश्न 2.0