नियति- 1


कार ठीक - ठाक रफ्तार में सड़क पर बढ़ रही थी, क्योंकि सड़क चंडीगढ़ की थी इसलिए जाम जैसी ट्रैफिक जाम चीज़ का स्वाद यहाँ कहाँ । गाड़ी के पिछ्ली सीट पर बैठा अरविंद एक चर्च की इमारत को ऐसे निहारे जा रहा था मानो वहाँ बैठे खुदा से कोई गहरी शिकायत कर रहा हो ।

अरविंद ऊपरी तौर पर खुद को अपनी पारिवारिक बंधनों के चलते, बतौर आस्तिक ज़रूर पेश करता था, पर रूहानी और जज़्बाती तौर पर वो एक नास्तिक बन चुका था। शायद उसने ईश्वर को उस रात के लिए आजतक माफ नहीं किया था जब ओम का जाप करते हुए अरविंद के सामने उसके पिता चक्कर खा कर गिर पड़े थे।

बहरहाल इन्हीं सब के बीच अरविंद के दाहिने हाथ नें जकड़े हुए फ़ोन पर एक वॉट्सएप्प संदेश प्रसारित होता है । संदेश ऐसे नम्बर से आया था जो अरविंद के फ़ोन में सेव नहीं था पर उस नम्बर से अरविंद अंजान हो ऐसा भी नहीं था । मैसेग में लिखा था "Hii" अरविंद ने भी जवाब में लिख दिया "Hii shreya, how are you?" ।

अरविंद के how are you के जवाब में श्रेया अरविंद से पूछती है : अरविंद, यार कहाँ है तू आजकल? । अरविंद श्रेया के इस मैसेग को ऊपर से ही देखकर फ़ोन को किनारे सरका देता है और आगे ड्राईविंग सीट पर बैठे निशीथ और आगे ही निशीथ के बगल की सीट पर बैठी अहाना से बात करने लगता है ।

अरविंद आहाना को छेड़ने के अंदाज में कहता है - और इग्लू, क्या रिकॉर्ड कर रही है ?

आगे की सीट पर बैठी आहाना जो अपने फ़ोन के कैमरे से स्नैपचैट बना रही थी- कुछ नहीं बस वैसे ही ?

तभी आहाना की खींचाई करते हुए ड्राईविंग सीट पर बैठा निशीथ बोलता है दिन की छठवीं वीडियो है भाई, सुबह से पाँच बना चुकी है ।

खींझते हुए अहाना अरविंद से बोलती है - तू तो रहने ही दे।

निशीथ- अरे ब्रो, ज़रा चिल रहा कर, बात बात पर इतना क्यों चिढ़ जाती है ।

आहाना- तू यहीं कर ले बस, बैठ के मेरे स्नैपचैट गिनता रहियो !

पीछे से नेहले पे देहला दागते हुए अरविंद बोलता है - अरी ओ छिपकली गिनने की बात ना ही कर तो ठीक, दिन गिनते- गिनते मैं आधा हो लिया तेरे आलू के परांठे के इन्तजार में ।

आहाना - हौ, अरविंद तू भी मुझे ताना दे रहा है !

अरविंद - यार, ताना देने वाली क्या बात है इसमें, मैं तो बस वैसे ही तुझे याद दिला रहा हूँ

अरविंद की बातों में छौंक लगाते हुए निशीथ अपनी बात जोडता है - भाई, इसने प्रौमिस करा है तुझे ? परठों के लिए ?

अरविंद - हाँ

निशीथ- भाई फिर तो खा चुका पराठे

इसके बाद निशीथ और अरविंद एक ज़ोर का ठहाका लगाते हैं
और दोनों की बातों से ऊब कर आहाना गाड़ी में चल रहे स्टीरियो की आवाज़ बढ़ा देती है और गाड़ी में बड़ी तेज़ आवाज़ में - तेरे यार बथेरे ने, एक तू ई है मेरा यारा बजने लगता है ।




इन सब चीज़ों के बीच अरविंद के फ़ोन पर लगातार श्रेया के मैसेग आते जाते हैं। शुरु में तो अरविंद उन्हें नज़रअंदाज करता है जब जब लगातर आते मैसेजों के उक्ताया हुआ अरविंद अपना फ़ोन में इंटरनेट बन्द करने के इरादे से उसे निकालता है तो उसकी नज़र में आखिर के तीन मैसज खटक जाते हैं क्योंकि उनमें कुछ फोटोएं थीं।

उत्सुकता वश अरविंद श्रेया की चैट खोल देता है, चैट खोलते ही अरविंद एक बार के लिए बात कुछ समझ नहीं आती । बात यह नहीं थी की अरविंद उस फोटो में सोफे पर बैठी लड़की और उसकी माँ को नहीं पहचानता था और पर अगर कोई चीज़ उस फोटो में अरविंद के लिए अंजान थी, तो वह थी उस नीले सूट धारी लड़के वाली बात । फोटो में लड़का और लड़की और जिस वेशभूषा में थे, यह बात की चुगली कर रहा था की मौका कोई खास । फोटो को देखने के बाद अरविंद अभी श्रेया से कुछ पूछ पाता, उससे पहले उसकी नज़र मैसेग में आए पहले फोटो के ठीक ऊपर के मैसेग पर पड़ती है । जिसमें लिखा था 'आज नियति की इंगेजमेंट थी'।

इस चीज़ को पढ़कर एक बार को अरविंद चेतना शून्य में चला जाता है पर कुछ ही लम्हों में वापस लौटते हुए अरविंद अपने श्रेया को कोई जवाबी मैसेज लिखने के इरादे से पलटता है पर सुन्न पड़ा दिमाग इस काम में उसका साथ देने से इन्कार कर देता हैं । इसी बीच निशीथ रिवर्स मिरर में अरविंद को खोया देख किसी गड़बड़ के झोल को तड़ लेता है ।

निशीथ पूछता है 'क्या बात ब्रो, ऑल ओके?' खुद को ढकेलने के अन्दाज़ में अरविंद कहता है 'हाँ, हाँ सब ठीक'। तभी स्टेडीयम के भीतर से आते शोर ने तीनों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया और लम्हा चुराकर कुछ टाइप करने लगता है।

तभी कार स्टेडीयम के सामने के चौड़े मुँह वाली गली में मुड़ जाती है। कार एक 2 मंजिले घर के सामने रुकती है जो एक खुद में ही एक ब्रह्मांड था। उस 2 तल्ले की इमारत में 12 लोग रहते थे। जिनके अपने संसार थे।

अरविंद तूफान की रफ्तार से उस इमारत के सबसे निचले मंज़िल के दरवाज़ा खोलता है और कछवे की रफ्तार से बैग डाइनिंग टेबल पर पटकता है। और बैग पटकने के साथ ही पास में बिछे हुए गद्दे पर औंधे मुँह धंस जाता है। कुछ पल एक निर्जीव देह की तरह पड़े रहने के बाद अपनी जेब में हाथ डालकर फ़ोन निकालता है और 'Sh' टाइप करके श्रेया के नंबर तक पहुँचता है।और तुरंत हरे बटन को दाईं ओर खिसकाते हुए श्रेया को कॉल लगा देता है।

फ़ोन लगते ही बिना सोचे समझे चीख पड़ता है, 'श्रेया यह क्या है?' । तभी अरविंद की आवाज़ सुनकर, अन्दर लूडो खेल रहे उसके दोस्त बाहार आ जाते हैं......


............. शेष अगले भाग में 

Comments

  1. बहुत ही अच्छी रचना है avril भाई। पढ़ने में बहुत आनंद आ रहा इसके अगले भाग का इंतज़ार रहेगा उम्मीद है जल्दी आएगा flynfeel

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  2. Bhaiya maza aa gaya pura karo isko

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